International Mother’s Day : पहले हज़ार दिन हैं बच्चे के भविष्य की नींव, जानिए इस दौरान क्या करना है और क्या नहीं
आपको मातृत्व अवकाश सिर्फ छह माह के लिए मिलता है। मगर एक शिशु की सेहत और भविष्य के निर्माण की तैयारी आपको बहुत पहले से शुरू करनी होती है और यह बहुत बाद तक चलती है। पर मां अकेली इसे नहीं संभाल सकती।
एक महिला के लिए मातृत्व तभी आसान हो सकता है जब पूरे परिवार का सहयोग उसमें हो। चित्र : अडोबीस्टॉक
एक मां (Motherhood) की भूमिका केवल जन्म देने तक सीमित नहीं होती, बल्कि गर्भधारण से लेकर शिशु के दूसरे जन्मदिन तक के पहले 1000 दिन—बच्चे के सम्पूर्ण जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वैज्ञानिकों और बाल विशेषज्ञों की मानें, तो इस अवधि में लिए गए निर्णय, पोषण और भावनात्मक देखभाल, बच्चे के मस्तिष्क विकास, शारीरिक वृद्धि और सामाजिक व्यवहार की नींव रखते हैं।
क्यों महत्वपूर्ण हैं ये एक हज़ार दिन (1000 days of Motherhood)
जब एक माँ स्वस्थ होती है, तभी बच्चा स्वस्थ होता है। बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिन – यानी गर्भधारण से लेकर दूसरे जन्मदिन तक – शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होते हैं। इस दौरान माँ को अच्छा पोषण, मानसिक सहयोग और नियमित देखभाल मिलने से बच्चे की ज़िंदगी भर की सेहत तय होती है।
जच्चा-बच्चा की सेहत के लिए हमेशा याद रखें ये 6 बातें (6 tips for healthy mother and healthy baby)
1. गर्भधारण की योजना: सोच-समझकर पहला कदम
गर्भधारण की योजना (Motherhood) सिर्फ माता-पिता की इच्छा भर नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह स्वास्थ्य, पोषण, मानसिक स्थिति और घरेलू वातावरण को ध्यान में रखकर होनी चाहिए। सही उम्र (18 वर्ष से ऊपर) और कम से कम दो बच्चों के बीच का दो साल का अंतर, माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
बच्चा तभी प्लान करें जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार हों। चित्र : अडोबीस्टॉक
2. पोषण: मां का भोजन, बच्चे का निर्माण
गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान (Motherhood) सही पोषण, जैसे आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड, न केवल माँ की ताकत बढ़ाते हैं, बल्कि बच्चे के मस्तिष्क और शरीर के समुचित विकास में भी योगदान करते हैं। फास्ट फूड से परहेज़ और मौसमी हरी सब्ज़ियों का सेवन ज़रूरी है।
गर्भावस्था के दौरान (Motherhood) तनाव माँ के हार्मोन पर असर डालता है, जिससे बच्चे के जन्म के बाद उसका व्यवहार और सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसलिए परिवार का साथ, प्यार, सम्मान और सुरक्षा माँ के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
4. सुरक्षित जीवनशैली और संक्रमण से बचाव
धूम्रपान, शराब, जहरीले रसायनों से दूर रहना, समय पर टीकाकरण करवाना, साफ-सफाई रखना, और संक्रमण से बचाव की आदतें माँ और शिशु दोनों के लिए सुरक्षा कवच बनती हैं। कीटनाशकों से दूर रहना और फल-सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर खाना जरूरी है।
5. जन्म के बाद की देखभाल: स्वर्ण अवसर
शिशु के जन्म के पहले घंटे को ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है। त्वचा से त्वचा का संपर्क, शीघ्र स्तनपान, और शुरुआती उत्तेजना—यह सब बच्चे के भावनात्मक जुड़ाव और प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए ज़रूरी है।
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6. बातचीत और संवेदनात्मक जुड़ाव की भूमिका
बच्चे के जन्म के पहले दिन से ही माँ (Motherhood) की आवाज़, स्पर्श और मुस्कान मस्तिष्क में हजारों नए कनेक्शन बनाते हैं। जब माँ बच्चे से बात करती है, गुनगुनाती है या मुस्कराकर देखती है, तो यह उसके सामाजिक और बौद्धिक विकास की नींव रखता है। यह केवल स्नेह नहीं, बल्कि विज्ञान आधारित ‘ब्रेन स्टिम्युलेशन’ है।
माँ को सहयोग क्यों ज़रूरी है?
गर्भ में पल रहा शिशु पूरी तरह माँ पर निर्भर होता है – भोजन, ऑक्सीजन और सुरक्षा के लिए।
माँ का तनाव, पोषण की कमी, बीमारी या अकेलापन सीधे बच्चे की सेहत को प्रभावित कर सकता है।
अगर माँ को सही समय पर देखभाल, परामर्श और भावनात्मक समर्थन मिले, तो बच्चे का मस्तिष्क और शरीर बेहतर विकसित होता है।
बच्चे की परवरिश न केवल आपको थका देती है, बल्कि आपके अंदर चिंता और संदेह की भावनाओं को भी जन्म देने लगती है। चित्र: अडोबी स्टॉक
गर्भधारण से पहले भी रखना है कुछ बातों का ध्यान
यदि दंपत्ति बच्चा प्लान कर रहे हैं, तो पहले से ही माँ के शरीर को तैयार करना जरूरी है।
फोलिक एसिड टैबलेट रोज़ाना शुरू करें – यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के दोषों से बचाव करता है।
धूम्रपान, शराब, तंबाकू तुरंत बंद करें।
तनाव से दूर रहें, नियमित व्यायाम करें।
खून की जांच करवाएं – अगर हीमोग्लोबिन कम है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भावस्था के दौरान क्या करें
हर महीने एएनसी चेकअप कराएं।
आयरन, कैल्शियम और विटामिन डी की गोली नियमित लें।
साफ पानी पीएं – रोज़ 10–12 गिलास।
ताज़ा, घर का बना पौष्टिक खाना खाएं।
चलना, योग करना, सही नींद लेना – यह सब माँ के लिए ज़रूरी है।
तेज़ धूप, ज़्यादा मेहनत, गुस्सा या डर से बचें।
पति और सास का सहयोग तनाव को कम करता है।
प्रसव के बाद माँ को कैसे सपोर्ट करें (How to support mother after delivery)
बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराएं – इसे “गोल्डन आवर” कहते हैं।
माँ को आराम, पोषण और भावनात्मक सहारा मिलना चाहिए।
शुरुआती दिन बहुत चुनौतीपूर्ण होते हैं – परिवार को धैर्य और समझदारी दिखानी चाहिए।
माँ को कहने दें कि वह कैसा महसूस कर रही है – डांटें या आदेश न दें। बच्चे की देखभाल में माँ का सहयोग कैसे मदद करता है?
माँ को जब पर्याप्त नींद और खाना मिलता है, वह बेहतर स्तनपान करा पाती है। माँ शांत होती है, तो बच्चा भी कम रोता है और जल्दी नींद में जाता है।
माँ के स्पर्श और बातों से बच्चे का मस्तिष्क बेहतर बनता है – शब्दों की समझ, भावनाएं और सामाजिक व्यवहार यहीं से शुरू होते हैं।
छह महीने तक बच्चे को मां के करीब होना बहुत जरूरी है। चित्र: शटरस्टॉक
6 महीने बाद क्या करें
छह महीने तक केवल स्तनपान। उसके बाद घर का बना सादा खाना शुरू करें।
माँ को नई जिम्मेदारियों में मदद करें – बच्चा खाना न खाए तो माँ को दोष न दें, साथ खाएं।
माँ की सेहत का ख्याल रखें – गर्भावस्था की थकान अब भी हो सकती है। नियमित टीकाकरण करवाएं – इसमें माँ की भागीदारी ज़रूरी है।
परिवार की भूमिका क्या होनी चाहिए
पति, सास, ससुर, भाई-बहन सब मिलकर माँ की मदद करें।
घरेलू काम बांटें, माँ को सोने का समय दें।
झगड़े, शोर या उलाहने देने से बचें – मां की मानसिक शांति जरूरी है।
बच्चे के रोने या बीमार होने पर माँ को दोषी न ठहराएं।
आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम, टीकाकरण की सुविधाएं सरकार मुफ्त देती है – इनका पूरा लाभ लें।
गर्भावस्था पंजीकरण समय पर कराएं।
याद रखें
माँ को सहयोग देना सिर्फ एक भावनात्मक कदम नहीं है, यह एक वैज्ञानिक और सामाजिक ज़रूरत है।
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डॉ. कुशल अग्रवाल एक प्रसिद्ध नवजात शिशु विशेषज्ञ हैं और केवीआर अस्पताल, काशीपुर में नवजात शिशु चिकित्सा और बाल रोग विभाग के प्रमुख हैं। केवीआर अस्पताल एक मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल है, जो एनएबीएच द्वारा मान्यता प्राप्त है और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है। वे इस अस्पताल के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर भी हैं।