अनुभव और थकान से भरी एक ऐसी उम्र जब आप बहुत कुछ जान चुकी होेती हैं। मगर करने को अब भी बहुत कुछ शेष होता है। घर और बाहर की दुनिया की कई चुनौतियों को आपने पार कर लिया है, मगर सफलता के कई सितारे अभी आपके कांधों पर सजने हैं। इस उम्र तक आते ज्यादातर महिलाएं अपनी सेहत को सबसे निचले पायदान पर खिसका चुकी होती हैं। जबकि यही वह उम्र है जब आपको अपनी सेहत का सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है।
उम्र, वजन और पोजिशन कुछ ऐसी हो जाती है, कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का समय भी कम होता चला जाता है। जिसके कारण आप अपनी उम्र के पुरुषाें से ज्यादा बीमारियों के जोखिम में होती हैं। अगर इन जोखिमों से बचकर, सफलता के साथ आगे बढ़ना है, तो आपको खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने पर ध्यान देना होगा। जानना चाहती हैं कैसे? तो आपकी मदद करने के लिए हम यहां हैं।
राज्यश्री बंदोपाध्याय सीएमआरआई हॉस्पिटल में सीनियर साइकोलाॅजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट हैं। वे कहती हैं कि देखेन में भले ही यह सामान्य लगे, मगर यह उम्र आपके मन के स्तर पर बहुत सारे बदलाव लेकर आती है। और यह सब हॉर्मोन में हो रहे बदलाव के कारण होता है। जो आपकी त्वचा, पीरियड्स, मूड और वजन सभी कुछ प्रभावित करते हैं। इसलिए इस समय आपको अपना और ज्यादा ध्यान रखना होता है।
ये उम्र उन हॉर्मोन में बदलाव की उम्र है, जो अभी तक आपके प्रजनन स्वास्थ्य और बाहरी खूबसूरती के लिए जिम्मेदार थे। अनियमित माहवारी और त्वचा पर उग आने वाले बाल बताते हैं कि आपके हॉर्मोन असंतुलित हो रहे हैं। इस समय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन में गिरावट आने लगती है।
उपरोक्त हॉर्मोन आपकी प्रजनन क्षमता के साथ-साथ आपके लुक को भी प्रभावित करते हैं। इनमें बाल पहले से हल्के और पतले होने लगते हैं, जबकि त्वचा में लोच और कसाव की कमी दिखाई देने लगती है। बालों का सफेद होना और त्वचा पर झुर्रियां नजर आने की शुरूआत भी उम्र के इसी दशक में होती है।
40 की उम्र की महिलाओं का पाचन तत्र पहले से धीमा हो जाता है, जिससे उन्हें पाचन संबंधी समस्याएं ज्यादा परेशान करने लगती हैं। अकसर आपने अनुभव किया होगा कि पहले आप जिन चीजों को बड़े चाव से खाती थीं, अब वही आपके पेट पर बोझ की तरह पड़ी रहती हैं। अगर परहेज न किया जाए, तो गैस, एसिडिटी और बदहजमी जैसी समस्याएं इस समय ज्यादा होने लगती हैं।
मेटाबॉलिज्म धीमा होने और हॉर्मोन असंतुलन होने के कारण महिलाओं को इस उम्र में पेट के पास चर्बी बढ़ने लगती है। इस समय वजन बढ़ना जितना आसान होता है, उसे नियंत्रित करना उतना ही मुश्किल हो जाता है।
हालांकि 30 के बाद से ही महिलाओं की बोन डेंसिटी कम होने लगती है, इसलिए उन्हें केल्शियम पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है। मगर 40 की उम्र पार करते एस्ट्रोजन की कमी के कारण ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए केल्शियम के साथ-साथ आपको विटामिन डी का लेवल भी चेक करते रहना चाहिए।
हॉर्मोन सिर्फ आपकी प्रजनन क्षमता को ही नहीं, बल्कि आपके मूड को भी प्रभावित करते हैं। हॉर्मोनल असंतुलन के कारण इस समय आपको ज्यादा गुस्सा आ सकता है। ज्यादातर महिलाओं के परिवार में यह शिकायत आती है कि वे बहुत चिड़चिड़ी और गुस्सैल हो गई हैं। यह पेरिमेनोपॉज का भी एक संकेत हो सकता है। जब आपको हॉट फ्लैश और मूड स्विंग्स का सामना करना पड़ता है।
राज्यश्री कहती हैं, “40 की उम्र में सक्रिय रहने के लिए तनाव को संतुलित करना, अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना और सकारात्मक जीवनशैली अपनाने का दृष्टिकोण रखना आवश्यक है। तनाव ऊर्जा को समाप्त करने वाले प्रमुख कारणों में से एक है, इसलिए इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित रहना बेहद जरूरी है।”
सबसे पहले, अपने जीवन में मौजूद तनाव के कारणों की पहचान करें, यानी यह जानें कि तनाव व्यवसायिक, व्यक्तिगत, वित्तीय या सामाजिक जीवन से आ रहा है।
यथा, तनाव प्रबंधन पर सक्रिय रूप से काम करें और जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मार्गदर्शन लें। जितनी जल्दी कोई व्यक्ति अपने तनाव को पहचानकर किसी विशेषज्ञ से सलाह लेता है, उतने ही अधिक अवसर होते हैं कि वह अपने 40 के दशक में सक्रिय और ऊर्जावान रह सके। इसके साथ ही, उचित नींद लेना भी जरूरी है। अच्छी गुणवत्ता वाली नींद हमारे शरीर और दिमाग को ऊर्जावान बनाने के लिए आवश्यक होती है।
जलयोजन (हाइड्रेशन) भी एक महत्वपूर्ण कारक है। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीना और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लेना बहुत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, संगीत सुनना, किताबें पढ़ना या रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होना मूड और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।
हो सकता है कि सुबह की पहली कॉफी या चाय आपकाे दिन के लिए तैयार करती हो, मगर यह आपको डिहाइड्रेट भी करती है। इसलिए इन्हें कम करने और धीरे-धीरे छोड़ने की ओर ध्यान दें। साथ ही, निकोटीन, शराब या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों से दूर रहना अत्यंत आवश्यक है।
यह आपके लिए सबसे जरूरी एक्टिविटी है। डांस, जुंबा, एरोबिक्स, साइकलिंग, कार्डियो जो भी आपको पसंद है, उसकी मदद से खुद को एक्टिव रखें। हर दिन कम से कम 45 मिनट और सप्ताह में पांच दिन आपका फिजिकल एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। इससे मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है, वजन नियंत्रित रहता है और आपका मूड भी अच्छा रहता है। इस तरह आप कम बीमार पड़ती हैं।
अंत में राज्य श्री कहती हैं, “साल में कम से कम एक बार संपूर्ण स्वास्थ्य जांच करवाना चाहिए। ये सुझाव किसी भी व्यक्ति को उनके 40 के दशक में सक्रिय और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।”
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