गर्मियों का मौसम धूप में घूमने-फिरने और बाहर मस्ती करने का होता है, लेकिन यह स्किन के लिए कुछ खास तरह की चुनौतियां भी लेकर आता है — खासकर उन मम्मियों के लिए, जो गर्भावस्था, स्तनपान या प्रसव के बाद की अवस्था में होती हैं। एक त्वचा विशेषज्ञ के रूप में मैं जानती हूं कि इस दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव और जीवनशैली में आए बदलाव त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए यहां हम गर्मियों के मौसम में आपकी स्किन को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने के लिए कुछ उपयोगी सुझाव दे रहे हैं।
इस बारे में विस्तार से बात कर रही हैं डॉ. इंदरप्रीत कौर महेन्द्रा। डॉ इदरप्रीत पुणे की जानी-मानी डर्मेटोलॉजिस्ट हैं। वे एमबीबीएस, डीडीवीएल, एमडी (डर्मेटोलॉजी) हैं।
डॉ. इंदरप्रीत कौर कहती हैं, “प्रेग्नेंसी के वक्त बड़े हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जो त्वचा पर विभिन्न रूपों में दिख सकते हैं। कुछ महिलाओं को ‘’प्रेग्नेंसी ग्लो‘’ होता है, जबकि अन्य को मीलास्मा (भूरे धब्बे), संवेदना और रूखापन जैसी जटिलताएं होती हैं। स्तनपान भी अपने साथ कुछ चिंताएं लेकर आता है।”
1 धूप से बचाव सबसे जरूरी है: हार्मोन में बदलाव की वजह से त्वचा धूप के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो जाती है, जिससे मीलास्मा (भूरे धब्बे) जैसी समस्या हो सकती है।
2 सही सनस्क्रीन चुनें: मिनरल-बेस्ड सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, जिसमें जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड हो और एसपीएफ 30 या उससे अधिक हो। ये प्रेग्नेंसी और स्तनपान के दौरान सुरक्षित माने जाते हैं क्योंकि ये शरीर में ज़्यादा नहीं समाते।
3 बार-बार लगाएं: हर दो घंटे में सनस्क्रीन लगाएं, खासकर तैराकी या पसीना आने के बाद।
4 तेज धूप से बचें: सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच की धूप से दूर रहें। चौड़ी टोपी और ढंके हुए कपड़े पहनें।
5 सौम्य क्लींजर चुनें: त्वचा संवेदनशील हो सकती है, इसलिए बिना खुशबू वाले, हल्के क्लींजर का इस्तेमाल करें।
6 रफ साबुन और स्क्रब से बचें: ये स्किन की नैचुरल नमी छीन सकते हैं और लालिमा या खुश्की ला सकते हैं।
7 हल्के गर्म पानी से नहाएं: ज़्यादा गर्म पानी त्वचा को और रूखा बना सकता है।
8 पानी भरपूर पिएं: प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान शरीर जल्दी डिहाइड्रेट हो सकता है, जिससे स्किन पर असर पड़ता है।
9 अच्छा मॉइश्चराइज़र लगाएं: रूखापन दूर करने और स्किन बैरियर को मज़बूत करने के लिए ह्यालुरोनिक एसिड, ग्लिसरीन और सेरामाइड्स वाला बिना खुशबू वाला मॉइश्चराइज़र लगाएं।
नैचुरल बॉडी ऑयल्स का इस्तेमाल करें: बादाम या जोजोबा ऑयल जैसे प्राकृतिक तेलों से खुजली और रूखी त्वचा को राहत मिलती है, खासकर जब पेट का आकार बढ़ रहा हो।
यह समस्या अक्सर प्रेग्नेंसी के बाद खुद ही ठीक हो जाती है, लेकिन रोज़ाना धूप से बचाव ज़रूरी है ताकि स्थिति और न बिगड़े। त्वचा को हल्की चमक देने के लिए विटामिन सी या एजेलाइक एसिड जैसे सौम्य एक्टिव्स का उपयोग करें। लेकिन प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कोई भी नया स्किन प्रोडक्ट शुरू करने से पहले अपने डर्मेटोलॉजिस्ट से ज़रूर सलाह लें।
हार्मोनल बदलाव की वजह से ब्रेकआउट्स यानी मुंहासे हो सकते हैं। ऐसे में हल्के और प्रेग्नेंसी-सेफ एक्ने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें, जिनमें कम मात्रा में सैलिसिलिक एसिड (धब्बों पर लगाने के लिए) या बेंज़ोयल पेरॉक्साइड हो। ओरल रेटिनॉइड्स और उच्च मात्रा वाले एसिड्स से बचना चाहिए। अपने स्किन डॉक्टर की सलाह लेना सबसे बेहतर रहेगा।
हालांकि इसमें आनुवंशिक कारण प्रमुख होते हैं, लेकिन स्किन को हाइड्रेट रखने से उसकी लचक बनी रहती है। नियमित रूप से मॉइश्चराइज़र और बॉडी ऑइल्स का इस्तेमाल करने से इसमें मदद मिल सकती है।
प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान कुछ स्किनकेयर तत्वों से बचना जरूरी है क्योंकि वे हानिकारक हो सकते हैं।
रेटिनॉइड्स (जैसे रेटिनॉल या रेटिनॉइक एसिड): इनसे पूरी तरह बचें क्योंकि ये भ्रूण के लिए हानिकारक (टेरेटोजेनिक) माने जाते हैं।
हाइड्रोक्विनोन: यह स्किन लाइटनिंग एजेंट है, लेकिन गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसके सुरक्षित होने के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं, इसलिए इससे दूर रहें या बहुत सीमित मात्रा में ही प्रयोग करें।
केमिकल एक्सफोलिएंट्स: उच्च मात्रा में सैलिसिलिक एसिड या अन्य AHA/BHA से बचें। अगर ज़रूरत हो, तो हल्के फिजिकल एक्सफोलिएशन का सहारा लें।
सुगंधरहित प्रोडक्ट चुनें: संवेदनशील त्वचा पर खुशबू वाले प्रोडक्ट्स जलन और खुजली पैदा कर सकते हैं, इसलिए बेहतर है कि आप बिना खुशबू वाले विकल्पों को प्राथमिकता दें।
प्रसव के बाद का समय भी शरीर के लिए एक बदलाव का दौर होता है। इस दौरान शरीर धीरे-धीरे गर्भावस्था से पहले की स्थिति में लौटता है, लेकिन हार्मोनल उतार-चढ़ाव बने रहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान हुई त्वचा समस्याएं इस समय भी जारी रह सकती हैं और नींद की कमी व तनाव के कारण नई समस्याएं भी उभर सकती हैं।
1 सौम्य देखभाल जारी रखें: इस दौरान भी हल्के क्लींजर और मॉइश्चराइज़र का नियमित इस्तेमाल करें, क्योंकि त्वचा अभी भी संवेदनशील रह सकती है।
2 हाइपरपिग्मेंटेशन से निपटें: यदि मीलास्मा जैसे धब्बे प्रसव के बाद भी बने रहें, तो अपने डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह से धीरे-धीरे असरदार उपचार शुरू कर सकते हैं। इनमें टॉपिकल रेटिनॉइड्स (स्तनपान बंद करने के बाद), हाइड्रोक्विनोन (सावधानी और विशेषज्ञ की सलाह से), एजेलाइक एसिड और विटामिन सी सीरम शामिल हो सकते हैं।
3 त्वचा की सतह की मरम्मत पर ध्यान दें: गर्भावस्था और प्रसव के बाद का तनाव त्वचा की सुरक्षा परत (स्किन बैरियर) को कमजोर कर सकता है। इसे मज़बूत करने के लिए सेरामाइड्स, नियासिनामाइड और फैटी एसिड्स वाले उत्पादों का उपयोग करें।
4 बाल झड़ने से जुड़ी समस्या: यह स्किनकेयर से अलग विषय है, लेकिन हार्मोनल बदलावों की वजह से प्रसव के बाद कुछ समय तक बाल झड़ना सामान्य है। ऐसे में संतुलित आहार लें और हल्के हेयर केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। यदि बाल अत्यधिक झड़ रहे हों या बहुत लंबे समय तक ऐसा जारी रहे, तो त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
5 नींद को प्राथमिकता दें (जितना भी संभव हो!): नवजात शिशु के साथ यह आसान नहीं होता, लेकिन पर्याप्त आराम आपकी सेहत और त्वचा की ताजगी के लिए बहुत जरूरी है। अपनी दिनचर्या में ऐसा स्किनकेयर रूटीन शामिल करें जिसे आप कम नींद के बावजूद भी निभा सकें।
आप जो खाते हैं, उसका सीधा असर आपकी त्वचा की चमक और सेहत पर पड़ता है। ऐसे समय में जब मातृत्व की चुनौतियाँ आपकी दिनचर्या का हिस्सा होती हैं, तो ज़रूरी पोषक तत्वों को आहार में शामिल करना और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। पानी, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और नट्स जैसे पोषण से भरपूर तत्व त्वचा को भीतर से निखारने में मदद करते हैं।
त्वचा को लचीला बनाए रखने और रूखेपन से बचाने के लिए भरपूर पानी पीना ज़रूरी है।
दिनभर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएं।
तरबूज, खीरा, स्ट्रॉबेरी और सेलरी जैसे पानी से भरपूर फल और सब्ज़ियाँ खाएं, जो शरीर को प्राकृतिक रूप से हाइड्रेट करने में मदद करते हैं।
ओमेगा-3 में प्राकृतिक प्रदाहरोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) गुण होते हैं, जो त्वचा की सतह को मज़बूत बनाकर रूखापन कम करते हैं और त्वचा को मुलायम बनाते हैं। अपने आहार में फैटी फिश जैसे सालमन, मैकरेल और ट्यूना को शामिल करें — ये ओमेगा-3 के बेहतरीन स्रोत हैं।
शाकाहारी विकल्पों में अलसी के बीज, चिया सीड्स और अखरोट शामिल करें। इनमें एएलए नामक ओमेगा-3 होता है, जिसे शरीर ईपीए और डीएचए में बदल सकता है।
बादाम: विटामिन ई से भरपूर, जो त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है।
अखरोट: इनमें ओमेगा-3 और एंटीऑक्सीडेंट्स दोनों मौजूद होते हैं।
ब्राजील नट्स: सेलेनियम का अच्छा स्रोत हैं, जो त्वचा की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
संयम में सेवन करें: नट्स पोषण से भरपूर तो हैं, लेकिन इनमें कैलोरी भी अधिक होती है। इन्हें संतुलित मात्रा में, आहार का हिस्सा बनाकर खाएं।
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